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फाँसी पर चढ़नेवाला हरएक व्यक्ति
शहीद भगत सिंह नहीं होता ,
गोली खाकर मरनेवाला हरएक मानव
महात्मा गांधी नहीं होता,
अपने कंधे पर अपना सलीब उठाकर
चलनेवाला हरएक मनुष्य
ईसा या मसीहा नहीं होता ।
बिना सोचे - समझे उपाधि देनेवालो!
हाथ में सत्तू लगाने मात्र से
कोई भंडारी नहीं कहला सकता ।
इसके लिए करना होगा त्याग
रचना होगा शील
आचरण में उतारना होगा
कोई महान आदर्श
महान संकल्प
कोई महाकाव्य - सी अवधारणा ।

</poem>
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