भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध' |अनुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
भारत के चप्पे चप्पे पर
सबल सजग सरदार खड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
माता पिता,बंधु या बांधव,
जातिपाँति, भाषा, मत,धर्म
सभी महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन,
सबसे बड़ा देश का कर्म;
देशकर्म का पालन करना
हर हालत में नियम कड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
धनदौलत, जीवन या तनमन,
स्वाभिमान, सम्मान धरोहर;
सभी हमें प्रिय, किंतु सभी से
प्रियतर अपना देश मनोहर;
निखिल विश्व के सीसमुकुट में
हीरे जैसा स्वयं जड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=रामेश्वर नाथ मिश्र 'अनुरोध'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
भारत के चप्पे चप्पे पर
सबल सजग सरदार खड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
माता पिता,बंधु या बांधव,
जातिपाँति, भाषा, मत,धर्म
सभी महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन,
सबसे बड़ा देश का कर्म;
देशकर्म का पालन करना
हर हालत में नियम कड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
धनदौलत, जीवन या तनमन,
स्वाभिमान, सम्मान धरोहर;
सभी हमें प्रिय, किंतु सभी से
प्रियतर अपना देश मनोहर;
निखिल विश्व के सीसमुकुट में
हीरे जैसा स्वयं जड़ा है।
सब चीजों से देश बड़ा है॥
</poem>