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चन्दन की दो डालियांडालियाँ<br>जब टकरायींटकराईं<br>
तो पैदा हुई अग्नि<br>
और लगी फैलने <br>
एक ही थी <br>
दोंनों की<br>
सो उसने चाहा <br>
कि रोके इस आग को<br>
पर खुद ख़ुद को <br>
खोकर रही<br>
उधर आग थी<br>
अब <br>
न चंदन है<br>
ना खुशबू ख़ुशबू है<br>
चतुर्दिक <br>
उड़ती हुई राख है<br>
और तीन दिल चाक हैं...