2,411 bytes added,
19:30, 21 जनवरी 2019 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|अनुवादक=
|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जिसकी तस्वीर इन कपड़ों पर काढ़ी जा रही है, वह इतिहास का सबसे असफल
आदमी है।
कढ़ाईगरों के साथ वह ताउम्र रहा, यह बात न तो कढ़ाईगरों को मालूम है, न
उनकी सुइयों को।
सुइयों से खेलती उँगलियाँ बचन से ही इतनी खुरदरी हो गई हैं कि वे कढ़ाई के
साथ गीत गाती हैं।
अकसर यह गीत उस आदमी के बारे में होता है, जिसके बारे में सारी दुनिया गीत
गाती है।
वह इतिहास का सबसे असफल आदमी है। कढ़ाईगरों के साथ रहते हुए वह दुनिया
के तमाम और लोगों के साथ भी रह रहा था। उसकी असफलता से हम जानते है
कि वह निहायत ही अकेला आदमी था। उसकी जुर्रत कि उसने ख़ुद को सबके
साथ घोषित किया हुआ था। उसने लोगों को छुआ और लोगों ने उसकी तस्वीर
काढ़ना शुरू किया।
दुनिया भर में कपड़ों पर, लकड़ियों पर, कुछ लोग अपने शरीर पर उसकी तस्वीर
काढ़ रहे हैं। लोगों का बस चलता तो वे ज़मीं आस्माँ के चप्पे-चप्पे पर उसको
टाँक देते।
वह इतिहास का सबसे असफल आदमी है। कढ़ाई करते हुए लोग गा रहे हैं गीत
उस आदमी के बारे में।
</poem>