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|संग्रह=नहा कर नही लौटा है बुद्ध / लाल्टू
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<poem>
यह जो जंग छिड़ी है छत्तीसगढ़ काश्मीर या पाकिस्तान में
इस जंग में कौन-सा ईश्वर लड़ रहा किस ईश्वर के खिलाफ़

एक ईश्वर जो चेहरा नहीं दिखाता
एक ईश्वर जो कपड़े नहीं उतारता

एक ईश्वर जिसके बारे में दावा किया गया है कि
वह हुसैन से नाखु़श घूम रहा है

चलो शामिल हों पुरज़ोर ईश्वरवादी बहसों में
और मूँद लें आँखें इस आँकड़े से कि
तैंतीस करोड़ धन चार या पाँच ईश्वरों वाले इस मुल्क में
इससे भी ज़्यादा तादाद में लोग हैं भुखमरी के शिकार
दो सौ की दारू की बोतल ख़रीद घर वापस चलते डाँटें
रिक्शा वाले को कि वह दो रुपए ज़्यादा क्यों माँगता है

नाराज़ हाे कि साले मूड बिगाड़ देते हैं और गड़बड़ा देते हैं
लौट कर लिखनी थी कविता जो।

</poem>
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