मेरे आगे न आओ
अब मेरी माँ बूढ़ी हो गई है
मैं किसका नाम लेकर चिल्लाऊँ। तो फिर सोचा था तो फिर के बारे में कहानी लिखूँगातो फिर कोई इन्सानफ़ार्मूला जिसके पास तैयार हर वक़्तकिसी नई राह काचलना जिस पर लगे 30 मई कोशहर का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री होने जैसाया कोई जानवरजिसका शौक़ से किसी अंग्रेज़ीदाँ नेटामी या पुसी के बदलेहिन्दुस्तानी बोलने वाले सनकी दोस्त का दिया रखा हो नाम अलग अलग विकल्पों में सबसे प्रिय थाउस लड़की के इर्द-गिर्द ख़याल बुननाथा तो फिर तकियाकलाम जिसकाबहुत रूपसी नहीं पर दोस्त बढ़िया थीकहानी तो फिर बढ़ती चली थीअचानक एक दिन सुना जब उसे भी उठा ले गएतो फिर लिखने लगा हर रात कविता याद करसदियों पुरानी वह बात किजब-जब हो अधर्म छूता आसमानजागता हूँ उसके विनाश के लिए तो फिर।चिल्लाऊँ
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