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}}
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<poem>
परिंदे
पर फड़फड़ा कर
उड़ गये
रह गया
ठूँठ ख़ाली पेड़...
यहीं-कहीं
शायद...मैं!
</poem>
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परिंदे
पर फड़फड़ा कर
उड़ गये
रह गया
ठूँठ ख़ाली पेड़...
यहीं-कहीं
शायद...मैं!
</poem>