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|रचनाकार=विशाल समर्पित
|अनुवादक=
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}}
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<poem>
सूना पथ
क्यों देख रहे हो
जाने वाला चला गया है
जिसको पढ़ स्वीकार किया था
प्रेम पगा प्रस्ताव तुम्हारा
जिसको पढ़कर कहता था वह
कितना सुंदर भाव तुम्हारा
आज तुम्हारे
उसी पत्र को
जाते-जाते जला गया है... (1)
कसमें रसमें रोक न पाईं
हर बंधन को तोड गया वो
जीवन भर का वादा करके
क्षणभर में ही छोड़ गया वो
कोई छवि
अब पास नहीं हर
चित्र तुम्हारा गला गया है... (2)
सबके सपने छलती दुनिया
कब तक झूठा जग देखोगे
धूल सनी राहों पर बोलो
कब तक उसके पग देखोगे
तुम मानो
या मत मानो पर
सच में तुमको छला गया है... (3)
</poem>
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|संग्रह=
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सूना पथ
क्यों देख रहे हो
जाने वाला चला गया है
जिसको पढ़ स्वीकार किया था
प्रेम पगा प्रस्ताव तुम्हारा
जिसको पढ़कर कहता था वह
कितना सुंदर भाव तुम्हारा
आज तुम्हारे
उसी पत्र को
जाते-जाते जला गया है... (1)
कसमें रसमें रोक न पाईं
हर बंधन को तोड गया वो
जीवन भर का वादा करके
क्षणभर में ही छोड़ गया वो
कोई छवि
अब पास नहीं हर
चित्र तुम्हारा गला गया है... (2)
सबके सपने छलती दुनिया
कब तक झूठा जग देखोगे
धूल सनी राहों पर बोलो
कब तक उसके पग देखोगे
तुम मानो
या मत मानो पर
सच में तुमको छला गया है... (3)
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