गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
घाव तुम्हारे / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
317 bytes added
,
05:30, 11 फ़रवरी 2019
तुम प्राणों में रहो
इतना चाहूँ।
68
भोर मुस्काई
मुकुलित कमल
नैन तुम्हारे
69
जन्मों की माया
कैसे है बाँधे जीव
मन व्याकुल।
70
नेह से भरे
गंगा नहाके आए
मृदु वचन।
</poem>
वीरबाला
5,162
edits