भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नबका बरीख / एस. मनोज

1,284 bytes added, 14:13, 20 फ़रवरी 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=एस. मनोज |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatMaithiliRac...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=एस. मनोज
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatMaithiliRachna}}
<poem>
बनबू नबका बरीखकें शुभे हो शुभे
सबहक आशा शुभे अभिलाषा शुभे
बनबू.....
खेती पथारी नहि जीवन चलाबै
कृषक सभ खेतमे नोर चुआबै
झूलै न फसरी, होय जीवन शुभे
बनबू....
रोजी आ रोटी ल' गाम छोड़ै छै
बाल बच्चा बाप बिनु बिलटैत रहै छै
नवतुरिया ल' बनबू योजना शुभे
बनबू....
आय धरि जे किछु पयबे नहि कयलकै
श्रमशक्ति सँ जगकें सुन्नर बनैलकै
ओ श्रमिक लेल बनबू आब दुनिया शुभे
बनबू.....
शिक्षा आ रोजीक अवसर दियाबू
पिछड़ल जे अछि ओकरा आगू बढ़ाबू
दुखिया ल' बनबू सभ नियम शुभे
बनबू....
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits