भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
जब मैं था एक नादान बच्चा, देखा करता था कोहिनूर के स्वप्न
ख़्वाब पारसी राजा और पोप की समृद्धता और वैभव का