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मिटाती मोह का बंधन कहानी राम की पावन,
बना देती मधुर जीवन कहानी राम की पावन।

मनुज जब हो दनुज जाये तो रहकर कोल भीलों में,
मनुजता का करे प्रणयन कहानी राम की पावन।

प्रखर प्रज्ञा पुरुष के सँग विलय करने सजल श्रद्धा,
रचाती दर्प-धनु-भंजन कहानी राम की पावन।

कहीं यदि द्वार पर सुख के चली आए घड़ी दुःख की,
तो करती नम्र अभिवादन कहानी राम की पावन।

लगे कितना भयावह पाप अत्याचार का दानव,
कराती मान का मर्दन कहानी राम की पावन।

अधर सी-सी घुटे कबतक विभीषण भीरु-सा नीरव,
कराती भेद का प्रकटन कहानी राम की पावन।

कभी सुख में, कभी दुःख में, कभी घर में, कभी वन में
सिखाती सत्य-अनुशीलन, कहानी राम की पावन।

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आधार छंद-विधाता
मापनी-लगागागा लगागागा-लगागागा लगागागा
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