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मेघों के संग बह कर आई हो जैसे —
आकर कहती : ''बाबा तुम ठीक तो हो? अच्छे हो? ज़रा प्यार करो मुझे?
झट से हाथ पकड़ लेता हूँ मैं उसका : सिर्फ धुआँसा-सा कुछ
सफ़ेद कपड़े की तरह क्यों दिखता उसका मुखड़ा !
दर्द होता है बाबा? मैं तो कब की मर चुकी हूँ... आज भी याद करते हो तुम मुझे?’’
दोनों हाथों को चुपके से हिलाती हौले-हौले
नया जीवन पाकर वह हठात मेरे क़रीब आ खड़ी हुई मेरी मृत बेटी ।
उसने कहा: ''मुझे चाहा था तुमने इसलिए इस छोटी बहन को यानी
तुम्हारी छोटी बेटी को घास के नीचे रख आई हूँ
इतने दिनों तक मैं भी थी वहाँ अन्धकार में
सोई हुई थी मैं ‘‘ .... घबराकर रुक गई मेरी बेटीकहते-कहते ,मैंने कहा : ''जाओ दोबारा जाकर सो जाओ वहाँ...पर जाते हुए छोटी बहन को आवाज देकर दे जाओ मुझे !’’
दर्द से बर उठा उसका मन... जरा ठहरकर शान्त-सी...
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