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विनती / उमेश बहादुरपुरी

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दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान
हम्मर बाजी तोर हाँथ में रखिहा मइया लाज।लाजनञ् सरसता वाणी में हे अधूरा हम्मर साज।साज
हमरा रस्ता नञ् सूझे हम राही अंजान
दिला सकऽ हऽ तूँ ही मइया जग में हमरा पहचान