|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
|अनुवादक=
|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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गाबऽ गाबऽ गाबऽ यार ठूमरी।ठूमरीमइया ओढ़के आएल हे लाल चूनरी।।चूनरीदेख-देख मइया के कहे मोर मनमा।मनमामइया के चरनिया में हे चारो धममा।धममालागऽ हे मइया ऐसे जइसे कोय सूनरी।। सूनरीगाबऽ ... ऊँचे रे पहड़बा पर मइया के डेरबा।डेरबामइया के सबरिया हे देखऽ शेरवा।शेरवाऐसे चमके मइया मोर जइसे कोय मूनरी।। मूनरीगाबऽ .... करऽ हे बहादुरपुरी मइया से विनतिया।विनतियातोड़िहा ना मइया हमरा से पिरितिया।पिरितियातोहरे पर टिकल हे हम्मर ई जिंदगी।। जिंदगीगाबऽ...
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