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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
बलम मीठा पान खइबऽ की डाल दी जरदा। जरदाबलम ....तनी आबऽ न प्यार कर ल छोड़ के सब परदा।परदामीठा पान खइबा तो खाली ओठ लाली।लालीजरदा में दुनहुँ मजा होली अउ दीवाली।दीवालीआझ दुनहुँ मिलके उड़ा देबै गरदा।। गरदाबलम ....देखला होत जिनगी में ऐसन न´् जवानी।नञ् जवानीहमरा में सटते याद आ जइथुन नानी।नानीदूर-दूर भागऽ हऽ इहे हा मरदा।। मरदाबलम ....बड़ी-बड़ी बात काहे बालऽ हऽ ए रानी।रानीहमरा से टकरइते ही उतर जइतो पानी।पानीहमरा न´् नञ् खिसियाबऽ हम बक्सर के बरदा।।बरदाखिलाब मीठा पान या खिलाबऽ चाहे जरदा।जरदाहर हाल में उठा देबो आझ तोहर परदा।परदाबलम मीठा पान खइबा की डाल दी जरदा।।जरदा
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