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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
तोर बहिनियाँ हथिन हमर साली।सालीतोहर किरिया हम न´् नञ् देही गाली।।गालीगाल इनखर गुलाबी नैन इनखर शराबी।शराबीनजर न´् नञ् आबऽ हे इनखा में खराबी।खराबीऊ तर जइतइ जे बनतइ इनखर माली। मालीतोहरे ....चाल रीना जैसन बाल मीना जैसन।जैसनइनखर लागे स्टाइल रवीना जैसन।जैसनगजबे लागऽ हे इनखर ओठ लाली।। लालीतोहरे ....इनखर ऐसन शवाब गरम जैसन कवाब।कवाबजान इनखा पर लुटावऽ हे नउका नवाब।नवाबइनखा में सटतइ जे हो जइतइ ऊ खाली।। खालीतोहरे ....ई ऐसन हसीन जैसन एटीअम मशीन।मशीनलागे इनखर मिजाज हमरा हे रंगीन।रंगीनई बना देथिन हमरा गुंडा आउ मवाली।। मवालीतोहरे ....ई साली हथिन माल बाली हथिन।हथिनतोहरा निअन न´् नञ् बोतल खाली हथिन।तनी बजवऽ मैडम कसके तूँ ताली।। तालीतोहरे .....
</poem>