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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
पिया आ जइहा रात के अँधरिया में।मेंहमरा लाज लागे वाली उमरिया में।।मेंनुक छिप के प्यार करबइ करबइ ठिठोली।ठिठोलीजान जइतो दुनियाँ त मार देतो गोली।गोलीसइयाँ लग जइतो भीड़ कचहरिया में।। मेंहमरा ....इहाँ प्यार के हे सँइया दुश्मन जमाना।जमानाई दिल तो हे सइयाँ तोहरे दिवाना।दिवानाकभी भूल के न अइहा इंजोरिया में।। मेंहमरा ....झूलबइ हम रोज तोर बहियाँ में झूला।झूलाअइहा तूँ लेके सइयाँ उड़नखटोला।उड़नखटोलातूँ बसा के रखिहा अप्पन नजरिया में।। मेंहमारा ....देबो मोबाइल पर जब तोरा मैसेज।मैसेजतब अइहा लेके तूँ प्यार के पैकेज।पैकेजहम मिल जइबो बरबिघा बजरिया में।। मेंहमरा .....
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