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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
मुश्किलें देख के जो राह की डर जायेगा
बीच रस्ते से ही वह लौट के घर जायेगा

हो सदा साथ में हिम्मत बहुत ज़रूरी है
मुश्किलों से भरा यह दिन भी गुजर जायेगा

फूल तोड़ोगे तो काँटे भी लिपट जायेंगे
खुशबुओं से तेरा दामन भी तो भर जायेगा

ठोकरें मारना पत्थर को न पत्थर कह कर
बन के मूरत यही भगवान के घर जायेगा

रख सदा अपनी निगाहों को जानिबे मंजिल
खुशनुमा ज़िन्दगी का तेरी सफ़र जायेगा

</poem>