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|संग्रह=शाम सुहानी / रंजना वर्मा
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<poem>
करना पर उपकार तभी, होगा जीवन में
नित सुख का संचार तभी, होगा जीवन में

तन का मन में विलय हृदय, हो प्यारा प्रिय का
नित नूतन अभिसार तभी, होगा जीवन में

अगर इन्द्रियाँ उन्मुख हों, उस परमेश्वर की
निज मन पर अधिकार तभी, होगा जीवन में

लोभ मोह मद की कारा, बन्धन को तोड़े
मनमोहन से प्यार तभी, होगा जीवन में

होगा सुंदर श्याम अगर, अधिकारी मन का
प्रति दिन नव त्यौहार तभी, होगा जीवन में

</poem>