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|रचनाकार= कुमार मुकुल
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}}
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<poem>
माहटर-महटरनी सुनू अहां सभ
एना नै चलतै काम अब
छठे-छमाही अहों सभे के
होय के रहतै इम्तिहान अब
बिलैक-बोर्ड छै उज्जर भ गेल
कुर्सी सब तिनटंगा हो
पंचम बरग के छान्ही उड़लै
करै ल पड़तै चंदा हो।
</poem>
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|रचनाकार= कुमार मुकुल
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माहटर-महटरनी सुनू अहां सभ
एना नै चलतै काम अब
छठे-छमाही अहों सभे के
होय के रहतै इम्तिहान अब
बिलैक-बोर्ड छै उज्जर भ गेल
कुर्सी सब तिनटंगा हो
पंचम बरग के छान्ही उड़लै
करै ल पड़तै चंदा हो।
</poem>