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<poem>
तुझ को ढूँढा कहाँ कहाँ जानाँ
तू तो मुझ में ही था निहाँ जानाँ

तू हमारी नज़र से ओझल है
ज़र्रे ज़र्रे में है अयाँ जानाँ

उन की किस्मत सँवर गयी जिन को
मिल गया तेरा आस्ताँ जानाँ

हम तेरी रहगुज़र समझते हैं
नाम जिस का है कहकशाँ जानाँ

तू ने अपना बना लिया वरना
तू कहाँ और मैं कहाँ जानाँ

मेरी साँसों में तेरी खुशबू है
तू कहीं मुझ में है निहाँ जानाँ

तेरे चेहरे से जो टपकता है
चाँद में नूर वो कहाँ जानाँ

उम्र भर नाज़ मैं करूँ तुझ पर
तू रहे मुझ पे मेहरबाँ जानाँ

काश यूँ ही 'सुमन' के सर पे रहे
तेरी चाहत का सायबाँ जानाँ
</poem>