भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKRachna |रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र |अनुवादक= |संग्रह=बोली...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKRachna
|रचनाकार=भारतेन्दु मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=बोली बानी / जगदीश पीयूष
}}
{{KKCatAwadhiRachna}}
{{KKCatGeet}}
<poem>
खाकी वरदी पहिने द्याखौ
यू सरकारी भेड़हा आवा

कठपुतलिन का कउन ठेकाना
कब ई करैं दगा
ई दुनिया मा इनका तौ बसि
पइसै एकु सगा
जस सुन्दरि कन्या का खातिर
लरिका काना खोड़हा आवा

बड़े बड़ेन के ग्वाड़ दबावैं
हम पर लाठिन वार
इनका देखि-देखि भाजति है
ट्वाला क्यार चमार
महक भरे गलियारे मइहाँ
जइसे ग्वाबरु सड़हा आवा

नेता औ अधिकारिन ते है
इनकी मिली भगति
सरे आम जेबै काटति हैं
इनते यहै प्रगति
जेहेल कइ दिहिन लोनिंग मइहाँ
जब दउँगरा असढ़हा आवा

<poem>