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1औरों को दुख देकरके जो हरदम मुस्काता हैखुद जलकरके जो औरों के घर झुलसाता है ।चैन कभी इस दुनिया में उसको मिलना है मुश्किलऔरों का रो देना जिसको ठण्डक पहुँचाता है ।2किसी दिन मिटेगा अँधेरा सोच लोकभी तो सजेगा सवेरा सोच लो ।उजड़ा है माना नीड आँधियों मेंबनेगा किसी दिन बसेरा सोच लो।3मत समझो कि मैं मगरूर हूँ,वक्त के हाथों मजबूर हूँ ।दिल में तुम्हारे बसा हूँ मैंसमझो नहीं कि बहुत दूर हूँ।4टूटी है नौका दरिया है गहराअंतिम हैं साँसें ऊपर है पहरा ।जुबाँ भी कटी है कैसे मैं बोलूँअंधे मोड़ पर यह वक़्त है ठहरा ।5सदा पास तुमको पाया है मैंनेदर्द ज्यों दिल में छुपाया है मैंने ।मुझे माफ़ करना आज मीत मेरेतुमको बहुत ही सताया है मैंने ।6झुलसा हूँ मैं कि तुझे आँच न आएकोई तेरे मन को चोट न पहुँचाए ।मैं ठहरा तारा आखिरी पहर काकौन जाने भोर कभी देख पाए।
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