भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
70हम बहुत अकेले हैंक़िस्मत के हाथोंउजड़े ये मेले हैं।71साथ रहें बेगानेशातिर दुनिया कोकैसे हम पहचाने ।72हम किसकी बात कहेंकब था चैन मिलाहरदम आघात मिले।73तुम चन्दा अम्बर के मैं केवल ताराचाहूँगा जी भरके।74तुम केवल मेरे होसाँसों में खुशबूबनकरके घेरे हो।75जग दुश्मन है मानारिश्ता यह दिल काजब तक साँस निभाना।76तुझको उजियार मिलेबदले में मुझकोचाहे अँधियार मिले।77तुम सागर हो मेरेबूँद तुम्हारी हूँतुझसे ही लूँ फेरे।</poem>