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{{KKGlobal}}1{{KKRachnaहम बहुत अकेले हैं|रचनाकार=रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'क़िस्मत के हाथों}}उजड़े हुए मेले हैं।{{KKCatKavita}}2<poem>साथ रहें बेगानेशातिर दुनिया कोकैसे हम पहचाने ।<poem>3हम किसकी बात कहेंकब था चैन मिलाहरदम आघात मिले।1तुम चन्दा अम्बर के मैं केवल ताराचाहूँगा जी भरके।2तुम केवल मेरे होसाँसों में खुशबूबनकरके घेरे हो।3जग दुश्मन है मानारिश्ता यह दिल काजब तक साँस निभाना।4तुझको उजियार मिलेबदले में मुझकोचाहे अँधियार मिले।5तुम सागर हो मेरेबूँद तुम्हारी हूँतुझसे ही लूँ फेरे।