भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
हर अलग शै को चुन-चुन कर निकालो
ये दोस्ती निभाने का समय नहीं
संस्कृति ,सभ्यता ,सहिष्णुता
सबको जलावतन कर दो ।
फिर उन जलावतनों को भूल जाओ ।
</poem>