भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
<poem>
पढ़ै-लिखै के नया योजना, सुनोॅ हो भैया किसान।
यज्ञ समान ज्ञान-दान छै, साक्षरता अभियान।।अभियान।
बोलोॅ भैया रामे-राम, रामे-राम सीताराम
सब जन पढ़तै, होयतै एक समान।।समान।
अज्ञान के अन्हरिया में कुहकै, हाय रे सबके प्राण।
पढ़ै-लिखै के बात सुनी केॅ, होय छै लोग हैरान।।हैरान।बोलोॅ रामे-राम ।।।
काला अक्षर भैंस बराबर, कुछु नै बुझै में आय।
भंैसी आगू बीन बजाबै, भैंस रहै पगुराय।।पगुराय।बोलोॅ रामे-राम ।।।
बिना ज्ञान के होतौं नै भैया, खेती तोरोॅ बलवान।
अंधा विश्वासोॅ में फँसलोॅ, धक-धक करतौं जान।।जान।बोलोॅ रामे-राम ।।।
पढ़ी-लिखी केॅ आपनोॅ आरो, देशोॅ के करियोॅ कल्याण।
ज्ञान चमक सेॅ चमकी जैतेॅ, सब्भै होठोॅ पर मुस्कान।।मुस्कान।बोलोॅ रामे-राम ।।।
तन आरोॅ मन दूनोॅ झूमै, आरो झूमतै सबके प्राण।
तोरोॅ खुशी केॅ देखी केॅ झूमै, साक्षरता अभियान।।अभियान।बोलोॅ रामे-राम ।।।सब जन पढ़तै, होयतै एक समान।।समान।
</poem>