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Kavita Kosh से
भौजी सुनाबै छै आपनोॅ हाल।
हमरोॅ करम तेॅ फुटलोॅ छै,
बिना पढ़लें-लिखलें जिनगी बेहाल।।बेहाल।
अलबेला पिया हमरोॅ परदेश बसै छै
रूपया भेजै छै, चिट्ठियो भेजै छै।
कŸोॅ भेजै छै, की-की लिखै छै
जानै सकै नै छीं कुछ्छु हाल।।हाल।
लाजोॅ-शरम सेॅ बोलै नै छीं
दिलोॅ के बतिया खोलै नै छीं।
छोटकी ननदिया, जहर के पुड़िया
लूतरी लारी केॅ करै छै काल।।काल।
छोटका देवरवा कुछ नै बताय छै
अंगूठा छाप कही-कही चिढ़ाय छै।
मन करै जरी-डूबी केॅ मरौं
राखी की करतै ई जिनगी बदहाल।।बदहाल।
एकरोॅ कौनों उपाय करबै
पढ़ै-लिखै लेॅ हम्हूँ सीखबै।
पढ़ी-लिखी केॅ, सीखी-सीखी केॅ
जिनगी बनैबै आपनोॅ खुशहाल।।खुशहाल।
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