भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatKavita}}
<poem>
मेरे परम आत्मीयबहकर अनवरत भी'''पानी रोता नहीं'''तुम्हारी आँखों में छलकाबहुत कुछ कह गयाअधरों पर उतरारस बन बह गयाबन गया लाजसब कुछ सह गयाबना जो उमंग तोमाना नहीं वहहृदय में तुम्हारेबना प्यार निर्मलऔर वहीं रह गया।
<poem>