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<poem>
मंडाण तौ मंडग्यौ दुमंगळ जुद्ध रौ
दो मोरचा बंध जाय इतरी जेज है
महाभारत री इण धरा माथै
जन घोसणा हुय जाय इतरी जेज है
पीढ़ियां सूं दो धड़ां में
इण धरा रै मांनखौ बंटतौ रैयौ है
ऊंचला गढ कोट नै बंगळा बणावण
निरधनां रौ सीस नीत कटतौ रैयौ है
कौडियां में रगत री लूटै कमाई
बिणज रौ भंडार कद घटतौ रैयौ है
बांचलौ इतियास बरगां बैर रौ
मांनखौ निरबळ सदा मिटतौ रैयो है
टाबरां नै साच औ गुटकी में दे दौ
वौ रगत में रम जाय इतरी जेज है

मंडाण तो मंडग्यौ दुमंगळ जुद्ध रौ
दो मोरचा बंध जाय इतरी जेज है
दूजै महाभारत री इण धरा माथै
जन घोसणा हुय जाय इतरी जेज है

मांन मजूरां नै अब देणौ पड़ैला
मील रा भूंगळ धुंअै रा गोट काढै
कांम ई रांम है उण औ जांण लीन्हौ
हाथ सूं करमां री कूड़ी रेख बाढै
हाथ है हथियार सांस गोळियां है
इणरी ताकत नै अरे मत बांध माडै
ताकड़ी रा बाट सूं मत तोल उणनै
भूख रा भूतां नै फगत औ ई गाडै
धूणी जमाय मसांण में डेरा दीन्हा
मन्तर वौ सध जाय इतरी जेज है
मंडाण तौ मंडग्यौ दुमंगळ जुद्ध रौ
दो मोरचा बंध जाय इतरी जेज है
दूजै महाभारत री इण धरा माथै
जन घोसणा हुय जाय इतरी जेज है

</poem>
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