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Kavita Kosh से
*[[वो मेरी पीढ़ी के देवता / कर्मानंद आर्य]]
*[[ओ दलित बेटियों / कर्मानंद आर्य]]
*[[तुमने कभी सोचा सूखे तपे पहाड़ों का दुःख / कर्मानंद आर्य]]