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महेश कटारे सुगम

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/* बुन्देली ग़ज़लें */
* [[आधी रातै आँख मींड कें उठीं कनकनी बउआ / महेश कटारे सुगम]]
* [[दांत मनईं मन पीसें कक्कू / महेश कटारे सुगम]]
* [[बिन्ना हो गईं स्यानी मर रये ऐई फिकर के मारें / महेश कटारे सुगम]]
* [[कट गए रूख उजर गईं डाँगें / महेश कटारे सुगम]]
* [[रोटी नईंयाँ पानी नईंयाँ / महेश कटारे सुगम]]
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