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डरे हुए लोग(1991), ठंडी रजाई(1998) सुकेश साहनी की 66 लघुकथाएँ और उनकी पड़ताल(1917),(लघुकथा-संग्रह), मैग्मा और अन्य कहानियाँ (2004, कहानी-संग्रह), अक्ल बड़ी या भैंस (2005,बालकथा-संग्रह), लघुकथा संग्रह पंजाबी, गुजराती, मराठी, उर्दू एवं अंग्रेजी में भी उपलब्ध। मैग्मा कहानी सहित अनेक लघुकथाएँ जर्मन भाषा में अनूदित। अनेक रचनाएँ पाठयक्रम में शामिल, ‘रोशनी’कहानी पर दूरदर्शन के लिए टेलीफिल्म। ठंडी रजाई , दादा जी, कुत्ते से सावधान आदि लघुकथाओं पर शार्ट फिल्म । 'डरे हुए लोग' तथा 'ठंडी रज़ाई'(अंग्रेज़ी व पंजाबी में भी प्रकाशित)
==पुरस्कार/ सम्मान==डॉ.परमेश्वर गोयल लघुकथा सम्मान 1994, माता शरबती देवी पुरस्कार 1996, डॉ. मुरली मनोहर हिन्दी साहित्यिक सम्मान 1998, बरेली कालेज, बरेली-स्वर्ण जयन्ती सम्मान 1998, माधवराव सप्रे सम्मान 2008 सम्मान,दया दृष्टि अतिविशिष्ट उपलब्धि सम्मान 2009,बलदेव कौशिक स्मृति सम्मान-2011, लघुकथा मनीषी सम्मान 2011,सुरेन्द्र बहादुर सिन्हा स्मृति साहित्य सम्मान-2015 वीरेन डंगवाल स्मृति साहित्य सम्मान-2018, साहित्य सुमेरू सम्मान-2018, 'कुमुद' साहित्य शिरोमणि सम्मान-2019
==संपादन==: हिन्दी लघुकथा की पहली वेब साइट laghukatha.com का वर्ष 2000 से रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु जी के साथ सम्पादन ,महानगर की लघुकथाएँ, (1993) स्त्री-पुरुष सम्बन्धों की लघुकथाएँ (1992), देह व्यापार की लघुकथाएँ (1997), बीसवीं सदी : प्रतिनिधि लघुकथाएँ (2000), समकालीन भारतीय लघुकथाएँ (2001), इनके अतिरिक्त आयोजन, बाल मनोवैज्ञानिक लघुकथाएँ, मानवमूल्यों की लघुकथाएँ, देश देशान्तर, मेरी पसंद(3 खण्ड), लघुकथा अनवरत( 2 खण्ड) आदि का संपादन ‘हिमांशु ’ जी के साथ।
==अनुवाद==खलील जिब्रान की लघुकथाएँ (1995), पागल एवं अन्य लघुकथाएँ (2004), विश्व प्रसिद्ध लेखकों की चर्चित अपराध कथाएँ ।(2001)कुछ लघुकथाएं जर्मन भाषा में अनूदित।
==सम्पर्क==185,उत्सव पार्ट 2, महानगर बरेली-243006
==ई-मेल ==sahnisukesh@gmail.com