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[[Category: ताँका]]
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3233
उदासियाँ क्यों?
दिल था दरपन
चोटें अनवरत
तब टूटना पड़ा।
3334
सुख-कामना
की थी सबके लिए ,
दु:ख सबके सारे
वे ही पास हमारे।
3435
समय क्रूर
करता चूर-चूर
आदमी है ठीकरा
कौड़ी के मोल बिके।
 
 
 
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