भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
[[Category: ताँका]]
<poem>
उदासियाँ क्यों?
दिल था दरपन
चोटें अनवरत
तब टूटना पड़ा।
सुख-कामना
की थी सबके लिए ,
दु:ख सबके सारे
वे ही पास हमारे।
समय क्रूर
करता चूर-चूर
आदमी है ठीकरा
कौड़ी के मोल बिके।
</poem>