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|रचनाकार=विनय मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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<poem>
बात दिल की थी तो दिल की रोशनाई से लिखा
मैंने तेरे नाम को आखर अढ़ाई से लिखा
दर्द गहराया तो उसको इंतिहाई से लिखा
यूंँ किया मैंने इकाई को दहाई से लिखा
सुर्ख़ियों में ये भले आने न पाई हो मगर
हाशिए की ज़िन्दगी को इक सचाई से लिखा
तुक मिलाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी थी कहन
बेतुकी-सी बात थी लेकिन ढिठाई से लिखा
दुख कोअपने डूब कर लिखता रहा हूंँ शौक से
जब खुशी लिक्खी तो बेमन से रुखाई से लिखा
हो गया हर बात में पैदा सचाई का कमाल
इस तरह हर बात को उसने सफ़ाई से लिखा
रोटियों में भी मेरी मेहनत की खुशबू भर गई
चाहतों को जब पसीने की कमाई से लिखा
</poem>
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बात दिल की थी तो दिल की रोशनाई से लिखा
मैंने तेरे नाम को आखर अढ़ाई से लिखा
दर्द गहराया तो उसको इंतिहाई से लिखा
यूंँ किया मैंने इकाई को दहाई से लिखा
सुर्ख़ियों में ये भले आने न पाई हो मगर
हाशिए की ज़िन्दगी को इक सचाई से लिखा
तुक मिलाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी थी कहन
बेतुकी-सी बात थी लेकिन ढिठाई से लिखा
दुख कोअपने डूब कर लिखता रहा हूंँ शौक से
जब खुशी लिक्खी तो बेमन से रुखाई से लिखा
हो गया हर बात में पैदा सचाई का कमाल
इस तरह हर बात को उसने सफ़ाई से लिखा
रोटियों में भी मेरी मेहनत की खुशबू भर गई
चाहतों को जब पसीने की कमाई से लिखा
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