भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बेसुरे विचार / विनय मिश्र

826 bytes added, 17:50, 6 जुलाई 2019
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विनय मिश्र |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=विनय मिश्र
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
बेसुरे विचारों के फ्यूजन से
संवेदनाओं की वर्णमाला
धीरे-धीरे सिकुड़ रही है
आज़ादी जो एक ख्वाब -सी
पलती थी हमारी आंँखों में
मेले -सी लगकर
धीरे -धीरे उजड़ रही है
प्रियवर
आपने अजाने ही
ऐसी मर्मभेदी बात कही है
जो सुनने में
कितनी भी ग़लत लगे
अनुभव में
एकदम सही है
</poem>
Mover, Protect, Reupload, Uploader
6,612
edits