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{{KKRachna
|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
चाँद क्यूँ उदास है
चाँदनी क्यूँ है बुझी-बुझी
रो रही क्यूँ खामोशियाँ हैं
और रात क्यूँ है लुटी-लुटी
देख सारे ये नजारे
फूल क्यूँ सहम गये
चुपके-चुपके
महक छिपाये
सिसक रही है
क्यूँ कलि-कलि
सरसराहट सी हवा में है
जुगनुओं में सरगोशियाँ है
बाद मुद्दत के यहाँ
गिर रही
बिजलियाँ हैं
फुस्फुसाकर
कह गया कोई कहीं
प्यार का इक सितारा
टूट गया
शायद यहीं...
</poem>
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|रचनाकार=सुनीता शानू
|अनुवादक=
|संग्रह=
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<poem>
चाँद क्यूँ उदास है
चाँदनी क्यूँ है बुझी-बुझी
रो रही क्यूँ खामोशियाँ हैं
और रात क्यूँ है लुटी-लुटी
देख सारे ये नजारे
फूल क्यूँ सहम गये
चुपके-चुपके
महक छिपाये
सिसक रही है
क्यूँ कलि-कलि
सरसराहट सी हवा में है
जुगनुओं में सरगोशियाँ है
बाद मुद्दत के यहाँ
गिर रही
बिजलियाँ हैं
फुस्फुसाकर
कह गया कोई कहीं
प्यार का इक सितारा
टूट गया
शायद यहीं...
</poem>