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'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनील त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=सुनील त्रिपाठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGeetika}}
<poem>
भेदिए एकाग्र मन से, लक्ष्य है यह अति बड़ा।
देश अपना स्वच्छता के, मार्ग पर अब चल पड़ा।
स्वच्छता अभियान, छेड़ा हो किसी सरकार ने।
किन्तु तब होगा सफल, हर नागरिक जबहो खड़ा।
लोग हों निर्लिप्त वे, जो लिप्त भ्रष्टाचार में।
दोष हो गम्भीर यदि, तो दण्ड अतिशय हो कड़ा।
पार्श्व में हो सात पर्दों, के भले व्यभिचार अब।
फूट ही जाता किसी दिन, पाप पूरित हर घड़ा।
युद्ध त्रेता और द्वापर या हुआ कलियुग में हो।
सच सदा विजयी हुआ है झूठ से जब भी लड़ा।
हर प्रणाली आन लाइन पारदर्शी हो रही।
खोद लेगी एक क्लिक अब कब्र से मुर्दा गड़ा।
</poem>
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|रचनाकार=सुनील त्रिपाठी
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
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भेदिए एकाग्र मन से, लक्ष्य है यह अति बड़ा।
देश अपना स्वच्छता के, मार्ग पर अब चल पड़ा।
स्वच्छता अभियान, छेड़ा हो किसी सरकार ने।
किन्तु तब होगा सफल, हर नागरिक जबहो खड़ा।
लोग हों निर्लिप्त वे, जो लिप्त भ्रष्टाचार में।
दोष हो गम्भीर यदि, तो दण्ड अतिशय हो कड़ा।
पार्श्व में हो सात पर्दों, के भले व्यभिचार अब।
फूट ही जाता किसी दिन, पाप पूरित हर घड़ा।
युद्ध त्रेता और द्वापर या हुआ कलियुग में हो।
सच सदा विजयी हुआ है झूठ से जब भी लड़ा।
हर प्रणाली आन लाइन पारदर्शी हो रही।
खोद लेगी एक क्लिक अब कब्र से मुर्दा गड़ा।
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