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Kavita Kosh से
देखूँ तो मुझको मेरा ही, साया लगे पराया॥
माँ पापा। मेरी श्वासों की, लय आधार कहूँ मैं।
दिया जन्म शब्दों में कैसे, नत आभार कहूँ मैं॥
प्रभु जी करती 'अना' विनय है, भेजो परी सलोनी।
माँ-पापा के बिना ज़िन्दगी, मुझको लगे अलोनी॥
वही मातु की नर्म गोद हो, पापा की वह बाँहें।
जिन्हें थामकर लगती थीं सब, जगमग जीवन राहें॥
सारे गूँथो मृदुल नेह के, बिखरे तार कहूँ मैं।
दिया जन्म शब्दों में कैसे, नत आभार कहूँ मैं॥
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