भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= कुमार मुकुल |संग्रह=​समुद्र के आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= कुमार मुकुल
|संग्रह=​समुद्र के आंसू
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
अपने मैं को
मारो नहीं
उसके बढ़ते कदम
तुम उखाड़ो नहीं

उसे
इतना विस्‍तृत व्‍यापक
हो जाने दो

कि वो
तुम्‍हारा तुम हो जाए

उसका मेरापन
शून्‍य की सर्वव्‍यापकता में
जाकर गुम हो जाए
</poem>
765
edits