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Kavita Kosh से
पर, जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !<br>
करोड़ों युगों से <br>जवानी का दरिया<br>हज़ारों रुकावट मिटाकर<br>
निरंतर बहा है,<br>
व बहता रहेगा !<br><br>
करोड़ों युगों से <br>जवानी का सरगम<br>नयी ज़िन्दगी का<br>
नया गीत गाता रहा है,<br>
व गाता रहेगा !<br><br>
कि झंकार जिसकी<br>
कभी भी दबेगी नहीं,<br>
और<br>नभ में,<br> दिशा में,<br>नगर में,<br> डगर में,<br>बड़े शोर से गूँज<br>सबको जगाती रहेगी !<br><br>
व सपनों की दुनिया<br>अँधेरे की दुनिया<br>
सदा लड़खड़ाती रहेगी !<br>
अँधेरा गिरेगा,<br> अँधेरा मिटेगा,<br>
कभी पर,<br>
जवानी की ज्योति धुँधली पड़ेगी नहीं !<br><br>
समय तो गुज़रता चला जायगापर,<br> पर, जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !<br>