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[[Category: ताँका]]
<poem>
'''अतृप्त नैन'''
'''सिंचित मन-प्राण'''
'''तुम सर्दी की धूप'''
'''खिला रूप अनूप।'''
तमाम उम्र
खाते रहे हैं धोखे
'''कोई तो है आज भी'''
'''तूफानों में साथ है।'''
खुले हैं पन्ने
जीवन की पोथी के
'''कोई एक पृष्ठ तो'''
'''रखना मेरे वास्ते।'''
कोई है मौन
'''सीमाओं से भी परे'''
'''करता है झंकार'''
'''कम्पित हर तार।'''
गुंजित हुए
सप्त स्वर मन में
पोर -पोर यौवन
धार बन उमड़ा।
'''छू लेना मुझे-'''
'''मलय पवन ज्यों'''