भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रणव मिश्र 'तेजस' |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रणव मिश्र 'तेजस'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तन्हा सफ़र है और है यादों की क़ब्रगाह
ठहरे हुए समां में डरे झींगुरों की आह
मद्धम लपकती लौ से चमक उठता आसमाँ
ऐसे में दर्दे-हिज्र की हल्की सी इक निगाह
सोज़े दरूँ में मस्त हुँ फिर भी कोई कमी
है चाहती ज़रा की अभी और हूँ तबाह
मुझसे ख़ला में बात भी करना नहीं रफ़ीक़
ऐसे ख़ला में बात भी करना है इक गुनाह
सबका ख़ुदा है और मियाँ मेरा कोई और
मेरे ख़ुदा की ज़ुल्फ़ से रौशन है शबे-माह
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=प्रणव मिश्र 'तेजस'
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तन्हा सफ़र है और है यादों की क़ब्रगाह
ठहरे हुए समां में डरे झींगुरों की आह
मद्धम लपकती लौ से चमक उठता आसमाँ
ऐसे में दर्दे-हिज्र की हल्की सी इक निगाह
सोज़े दरूँ में मस्त हुँ फिर भी कोई कमी
है चाहती ज़रा की अभी और हूँ तबाह
मुझसे ख़ला में बात भी करना नहीं रफ़ीक़
ऐसे ख़ला में बात भी करना है इक गुनाह
सबका ख़ुदा है और मियाँ मेरा कोई और
मेरे ख़ुदा की ज़ुल्फ़ से रौशन है शबे-माह
</poem>