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ख़ुद को ढूँढना / वीरेन डंगवाल

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एक शीतोष्‍ण शीतोष्ण हँसी में
जो आती गोया
पहाड़ों के पार से
सीधे कानों फिर इन शब्‍दों शब्दों में
ढूँढना ख़ुद को
ख़ुद की परछाई में
एक न लिए गए चुम्‍बन चुम्बन मेंअपराध की तरह ढूँढनाढूँढ़ना
चुपचाप गुज़रो इधर से
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