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मैं इसे किसी कारण अभी यों  ही नहीं जाने दूँगा, भले हीयह शोक की है
इसे फिर अपनी खूँटी पर ही टँगी  रहने दो,
गुलाबी, नीला, पीला, सब रँग उड़े, सब फीके रँगों वाली
उस छायाभासी वलय में तुमको देखा था,
तुम्हारी मुस्कान, आँखें,  मुख शान्त, मौन , पहले — जैसे ही प्यारे थे,
इसलिए कुछ समय वह माला भी मेरी आँखों कीपहुँच में रहने दो,
वे मेरे लिए अब भी मरी नहीं है, न वह अब भी सूखी है ।
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