भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
तुम ज़रा-सा मुस्कुराओ तो बहार आए।
ग़मज़दा दिल पर मुहब्बत से निखार आए।
बेबसी कैसी है दिल लगता नहीं मेरा,
यार का दीदार हो दिल को क़रार आए।
 
जी रहा हूँ, सच मगर हालात वैसे ही,
सोच लूं तुमको तो पलकों पर ख़ुमार आए।
 
अपनी ज़ुल्फ़ें खोल दें शानों पे’ वो अपने,
उनकी ज़ुल्फ़ों की महक लेकर बयार आए।
 
रास्ते दुश्वार हैं संदेश यह लेकर,
साथ देने कब मिरा, तेरी पुकार आए।
 
पाँव से लिपटी थकन भी मुन्तज़िर उसकी,
वो कि बन कर दश्तो-सहरा में दयार आए।
 
मैं नज़र भर कर तुझे कब देख पाया ‘नूर’?
तेरी डोली को उठाने जब कहार आए।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits