भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
/* कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें */
* [[उनकी आँखों में दिखे है जो इशारा कोई / रवि सिन्हा]]
* [[एक पत्ता कहीं हिला होता / रवि सिन्हा]]
* [[किस बीज से कैसा शजर इस बार हो पैदा / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ला की बून्द थी, फैली तो कायनात हुई / रवि सिन्हा]]
* [[ख़ला में ख़ाक के ज़र्रे फ़साद करते हैं / रवि सिन्हा]]