भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मानो उस डायरी और बही-खाते के
हर एक अक्षर आखर का
खुद भी एक हिस्सा बन गई हों वे ।
2005
</poem>