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{{KKRachna
|रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=नवगीत / प्रताप नारायण सिंह
}}
{{KKCatNavgeet}}
<poem>
हे विगत !
है प्रार्थना करबद्ध
मुझको माफ़ करना
खो दिए सब व्यर्थ में ही
जो सलोने पल मिले थे
कर सका संचय न मधु का
पुष्प सारे जब खिले थे
रिक्त ही
अब कोष लेकर
है मुझे तो राह चलना
बो न पाया बीज कोई
वृक्ष बन जो छाँव करता
दे न पाया मुस्कराहट
जो हृदय के घाव भरता
आ गए
आसन्न दुःख, अब
किस तरह होगा उबरना
बेधते उर-प्राण को अब
प्रश्न आगत-दृष्टि के हैं
दे उन्हें पाया न जो
अधिकार उनके सृष्टि में हैं?
हे विगत !
है याचना करबद्ध
मुझको माफ़ करना
</poem>
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|रचनाकार=प्रताप नारायण सिंह
|अनुवादक=
|संग्रह=नवगीत / प्रताप नारायण सिंह
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हे विगत !
है प्रार्थना करबद्ध
मुझको माफ़ करना
खो दिए सब व्यर्थ में ही
जो सलोने पल मिले थे
कर सका संचय न मधु का
पुष्प सारे जब खिले थे
रिक्त ही
अब कोष लेकर
है मुझे तो राह चलना
बो न पाया बीज कोई
वृक्ष बन जो छाँव करता
दे न पाया मुस्कराहट
जो हृदय के घाव भरता
आ गए
आसन्न दुःख, अब
किस तरह होगा उबरना
बेधते उर-प्राण को अब
प्रश्न आगत-दृष्टि के हैं
दे उन्हें पाया न जो
अधिकार उनके सृष्टि में हैं?
हे विगत !
है याचना करबद्ध
मुझको माफ़ करना
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